लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (32)
रोहित फोन रखते ही हास्पिटल वापस आया...।
अरे तुम दोनों अभी तक यहीं बैठी हुई हो...। अभी अंदर जाओ और तुम दोनों थोड़ा आराम कर लो....। राहुल के पास मैं रूकता हूँ आज की रात....।
नहीं रोहित मैं राहुल के पास रुकती हूँ ....आप आराम कर लो...।
अलका तुम रश्मि के साथ अंदर जाओ मैं हूँ वहाँ.... डोंट वैरी।
ठीक है... पर जैसे ही राहुल को होश आए हमें बताना..।
हां पक्का..।
अलका और रश्मि वहाँ से चलीं गई और रोहित भी राहुल के कमरे में चला गया...। वहीं दूसरी ओर रिषभ के वकील ने रिषभ और बाकी सभी लोगों को पुलिस से छुड़ा लिया था....। रंजीत को इस बात पता चला पर इस बार उसने कोई रिएक्ट नहीं किया..... क्योंकि रोहित ने कहा था कि वो खुद अपनी लड़ाई लड़ लेगा...। इसलिए रंजीत अब किसी भी मामले में आना नही चाहता था...।
अगले दिन सुबह होतें ही अलका और रश्मि राहुल के कमरे में आए तो रोहित राहुल के बैड पर ही सिर रखकर सोया हुआ था...। अलका के आवाज लगाने पर वो उठा...। तभी कमरे में डाक्टर भी आए...। डाक्टर ने राहुल को चेक किया ओर एक पेपर पर दवाईयां लिखकर कहा की ये तुरंत ले आइये...। रोहित ने पेपर लिया और जाने लगा तो अलका ने उसे रोका.... रोहित पेपर मुझे दो मैं दवाईयां ले आतीं हूँ... तुम थोड़ा आराम कर लो...। रोहित ने पेपर अलका को दे दिया...। अलका पेपर लेकर वहाँ से चलीं गई.... डाक्टर भी दूसरे मरीज को देखने वहाँ से चला गया...। रोहित को तो शायद ऐसे ही किसी मोके की तलाश थी.... जहाँ वो रश्मि से बात कर सकें उसके बारे में जान सकें....।
ओर बताओ रश्मि.... लाइफ में आगे क्या करना है तुम्हें...?
कुछ ऐसा रोहित जिससे मेरे परिवार वाले खुश रह सकें....।
मतलब?
पढ़ाई पूरी कर किसी अच्छी कम्पनी में जाब करना चाहती हूँ... बहुत पैसा कमाना चाहती हूँ...। मेरे भाई बहुत कमाते हैं लेकिन साथ नहीं रहतें वो शहर में रहते हैं... यहाँ बहुत कम ही आते हैं.... माँ पापा उनकों बहुत याद करते हैं.... मैं माँ पापा को शहर में उनके पास एक घर लेकर देना चाहतीं हूँ....।
ओर अपने लिए...?
मेरे लिए क्या....! वो खुश मैं खुश....।
अच्छा ये तो हुईं फ्यूचर प्लानिंग..... अभी क्या...।
क्या मतलब...?
मतलब तुम्हारी लाइफ में कोई ओर......!
मैं समझ गई आप क्या पूछना चाहतें हैं....। मेरी लाइफ में इन सब बातों के लिए कोई जगह नहीं हैं....।
क्यूँ ऐसा....!
मैं बस अपने परिवार वालों के लिए जी रहीं हूँ.... मुझे ये प्यार व्यार.... के चक्कर में पड़ना ही नहीं हैं.... इन चक्करो में जो पड़ता हैं......फिर लाइफ में कुछ ओर नहीं सोच पाता है...। सच बोलूँ तो आइ हेट लव....।
तुमसे ऐसा किसने कहा की प्यार के बाद इंसान कुछ नहीं कर पाता....। ये गलत है रश्मि....।ओर सबसे बड़ी बात प्यार कभी सोच समझकर नहीं किया जाता.... वो तो बस हो जाता हैं....। क्या तुम्हें कभी किसी के लिए कुछ अलग सी फिलिंग्स नहीं आई....! सच तो ये हैं रश्मि की तुम प्यार से नफ़रत नहीं करतीं बल्कि प्यार से भाग रहीं हो....। क्योंकि तुम ये सोचती हो कि प्यार के बाद तुम अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर पाओगी.... वो तुम तभी भी कर सकतीं हो..... ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है रश्मि...।
रश्मि रोहित की बातें सुनकर अपने ही ख्यालों में खो गई थी.... रश्मि अपने और रोहित की पहली मुलाकात.... बाइक वाली... फिर दूसरी मुलाकात कालेज वाली के बारे में सोच कर महसूस कर रहीं थी की उस वक़्त बहुत अलग सा अहसास हुआ था उसे.....। लेकिन क्या वो अहसास प्यार का था....!! वो सोच ही रहीं थी की रोहित ने आवाज लगाईं.... क्या हुआ रश्मि..... कहाँ खो गई...! अपने पहले प्यार को तलाश रही थी क्या..?
नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं.... मैं वो..... छोड़िये ये सब..... आप बताइये ना .... क्या आपकी लाइफ में कोई हैं....!!
हां हैं....!
जवाब सुनकर रश्मि को थोड़ा बुरा लगा क्योंकि कहीं ना कहीं वो रोहित से प्यार तो करतीं थीं बस कह नही पा रहीं थी....।
क्या हुआ.... तुम इतनी चुप क्यों हो गई.... उसके बारे में जानना नहीं चाहोगी...।
रश्मि मन मारते हुए .. झूठी हंसी हंसते हुए बोली :- हां क्यूँ नहीं रोहित....। बताइये न...!
रोहित उसके चेहरे के हाव भाव देख समझ गया था जो रश्मि के दिल में था..... पर फिर भी वो रश्मि की जुबान से सुनना चाहता था.... उसने ये सोचकर ही बोलना शुरू किया....।
सच बोलूँ तो उसकी तारीफ में शब्द ही कम पड़ जाऐंगे....। (रश्मि मन ही मन बड़बड़ाई तो .... मत बोलो....। ) रोहित उसकी तरफ़ देख कर बहुत खुश हो रहा था ओर सोच रहा था आज तो तुमसे इजहाऱ ए मोहब्बत करवा कर रहूंगा....।
लम्बें काले घने बाल.... जब खोलती हैं तो ऐसा लगता है जैसे अंधेरी रात उसे अपने आगोश में ले रहीं हो.... काली ओर गहरी आंखें... इतनी गहराई हैं उन आंखों में की बस डुबने को दिल चाहता है... होंठ तो जैसे मधुशाला.... बस पीने को दिल चाहता है..... उसका बदन.....ऊपरवाले ने बहुत ही फुर्सत से उसे बनाया हैं.... उसकी आवाज इतनी मधुर... इतनी प्यारी है की दिल करता है बस वो बोलतीं रहीं मैं सुनता रहूँ..... पर बहुत कम बोलतीं है वो.... और सबसे अच्छा है उसका दिल... बहुत प्यारी है वो.... बहुत.....
रश्मि मन ही मन उसे कोस रहीं थी उससे ओर सुना नहीं जा रहा था ....वो बीच में ही अपनी कुर्सी से खड़ी हो गई और बोली-.... हाँ मैं समझ गई.... अभी मैं जा रहीं हूँ.... वो अलका अभी आई नहीं है... तो देखुँ..... रश्मि बाहर जाने के लिए जैसे ही पलटी तो रोहित ने उसका हाथ पकड़ लिया ओर अपनी तरफ़ उसे खिंच लिया.... रश्मि की तो जैसे सांसें ही रुक गई हो। रश्मि ने घबरा कर अपनी आंखें ही बंद कर ली थी.... वो रोहित के बिल्कुल करीब थीं.... इतनी करीब की एक दूसरे की सांसें भी महसूस कर सकें... ।
आंखे क्यूँ बंद की हैं रश्मि....? अभी तो मुझे बहुत कुछ बताना हैं तुम्हें....
रोहित मुझे जाने दो प्लीज....।
पक्का.....छोड़ दूं..! तुम्हें इस तरहा मेरे करीब आना अच्छा नहीं लगा...? क्या तुम कम्फर्टेबल नहीं हो...? अगर ऐसा है तो बता दो रश्मि मैं कभी तुम्हारे पास नहीं आउंगा....।
रश्मि अपनी आंखे खोलते हुए- रोहित प्लीज लीव मी.... प्लीज....।
रोहित ने ओके कहते हुए रश्मि को छोड़ दिया - आइ एम सॉरी रश्मि... शायद मैं ही कुछ गलत समझ बैठा था.... मैं तो बस तुम्हें मेरे प्यार का नाम बताना चाहता था....पर अभी छोड़ो....। रश्मि को ....इस तरहा रोहित को उदास देखकर बहुत तकलीफ भी हो रहीं थी पर वो अपने आप को संभाल कर कमरे से बाहर चलीं गई....।
रोहित बस उसे जातें हुए देख रहा था...। रश्मि के जाने के बाद रोहित धीरे से बोला....रश्मि.....मेरे प्यार का यहीं नाम हैं....पर.....
रश्मि हास्पिटल के बरामदे में जाकर रोने लगीं.... तभी वहाँ अलका भी आई... उसने रश्मि को ऐसे रोते हुए देखा तो बहुत घबरा गई... वो भागते हुए रश्मि के पास पहूँची ओर कहा- क्या हुआ रश्मि तु ऐसे रो क्यूँ रहीं हैं.... सब ठीक तो हैं ना... राहुल ठीक है न....!
रश्मि ने अलका को गले से लगा लिया ओर कहा- राहुल ठीक है अलका पर मैं.....
मैं क्या....?
रश्मि कुछ बोलतीं इससे पहले ही डाक्टर ने दवाई के लिए अलका को बुला लिया....। अलका रश्मि को लेकर राहुल के कमरे में आ गई....।
वहाँ रोहित पहले से ही था पर उसने इस बार नजर उठाकर रश्मि की तरफ़ देखा भी नहीं....। रश्मि भी रोहित से नजर नहीं मिला पा रहीं थी....। पर वो बार बार चोरी छुपे रोहित को देख रहीं थी....। रोहित बहुत ही हताश ओर मायूस हो गया था...। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्यूँ उसका दिल अभी भी रश्मि की तरफ़ ही झुक रहा है..... जबकि रश्मि के दिल में तो कुछ भी नहीं हैं.... कैसे उससे गलती हो गई रश्मि को समझने में.... क्यूँ रश्मि उसके इतना करीब आकर घबरा रहीं थी....। कैसे उसे ये गलतफहमी हुई की रश्मि भी उससे प्यार करतीं हैं.....। वो अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था....। लेकिन उस वक़्त वो कुछ भी बोला नहीं...। बस नजरें झुका कर खड़ा रहा...।
डाक्टर ने अलका से दवाईयां लेकर राहुल का इलाज शुरू कर दिया ओर सभी को कमरे से बाहर जाने को कहा....। बाहर आतें ही अलका ने रश्मि से पुछा-: अब बता रश्मि क्या बता रहीं थी तु...!!
कुछ नहीं अलका बाद में बात करते हैं उस बारे में...।
तभी रोहित को उसके आदमी का फोन आया.... रोहित उसकी बात को सुनकर बहुत गुस्से में आ गया.... उसने गुस्से में ही फोन पर कहा.... उसकी इतनी हिम्मत.... मुझे नहीं पता था रिषभ इतना गिर जाएगा.... आकाश तु अपने बाकी सभी साथियों को वहाँ बुला ले मैं भी वही आ रहा हूँ...।
ऐसा कहकर रोहित ने फोन रख दिया ओर वहाँ से जाने लगा....।
अलका और रश्मि दोनों ये सब सुन रहीं थी... अलका ने रोहित से पुछा :- क्या हुआ रोहित....! किसका फोन था...? सब ठीक तो है...? और तुम कहाँ जा रहे हो...?
आकाश का फोन था.... रिषभ फिर से अपनी घटिया हरकतों पर उतर आया है.... इस बार मैं उसे नहीं छोडुंगा...। अब ये आखरी लड़ाई होगी.... या इस पार या उस पार.... तुम यहाँ राहुल , आंटी और सबका ख्याल रखना.... मैं चलता हूँ...। कुछ भी जरुरत हो तो ये मेरे असिस्टेंट का नम्बर हैं उसकों फोन कर देना... ( रोहित एक कार्ड अलका को देतें हुए) रोहित ने कुछ कदम बढ़ाए ही थे की रश्मि ने आवाज दी.... रुको रोहित....।
रोहित रश्मि की आवाज सुनकर वही रुक गया...।
रोहित मैं भी तुम्हारें साथ चलुंगी....।
इसकी कोई जरूरत नहीं है रश्मि.... जो हुआ उसे भूल जाओ ओर राहुल का ध्यान रखो.... ये मेरी लड़ाई हैं....मैं खुद संभाल लूंगा... और वैसे भी अब मेरे पास खोने को कुछ रहा ही नहीं हैं....।
लेकिन मेरी बात तो....
रोहित बीच में बोलते हुए:- सब सुन भी चुका हूँ और समझ भी चुका हूँ.... प्लीज अब ओर कुछ ना ही बोलो तो अच्छा है...।
अलका दोनों को इस तरहा देखकर सोच में पड़ गई थी.... ।
रोहित बस करो.... अब मैं जो कहने जा रहीं हूँ वो तुम्हें सुनना ही होगा....। समझें....।
रोहित रश्मि की तरफ़ पलटा ओर बोला --क्या मतलब हैं तुम्हारा...?
रश्मि रोहित के पास गई और बोली:- जल्दी वापस आना.... बिको़ज आई लव यू.....।
रोहित आश्चर्य से- व्हाट!!!!!!
हां रोहित..... ये ही सच हैं ....जो अब तक तुम्हें कह नही पाई...। प्लीज मेरे लिए अपना ध्यान रखना और जल्दी वापस आना.... मैं तुम्हारा इंतजार करुंगी... ।
रोहित की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा..... इसका मतलब मैं सही था.... ओहहहह रश्मि.... सिरियसली...... रोहित ने रश्मि को गले लगा लिया..... रश्मि भी उसकी बांहों में खो गई..... दोनों की आंखों से आंसू बहनें लगे...।
अलका ये सब देखकर बहुत खुश हो रहीं थी.... वो उन दोनों के पास आई ओर मस्ती में बोली.... अब ये प्रेम मिलाप यहीं रोक दिजिए.. हम अभी हास्पिटल में हैं.... ।
उसकी आवाज सुनते ही दोनों एक दूसरे से अलग हो गए..। रश्मि ने अपनी नजरें झुका ली... रोहित भी यहाँ वहाँ देख रहा था...। किसी ने देखा तो नहीं ना अलका...!!
जिसको देखना था उसने तो देख लिया...।
मतलब किसने.....!
अलका ने रोहित के पीछे खड़ी रश्मि की माँ की तरफ़ इशारा करते हुए कहा.... वहां देखो....।
रश्मि और रोहित दोनों ने पलटकर देखा....।
रश्मि अपनी मम्मी को देखकर बहुत डर गई थीं.... वो नजरें झुका कर रोहित के पीछे छिपने की कोशिश करने लगीं...।
रश्मि की मम्मी उन दोनों के पास आई...।
उनके पास आते ही रोहित बोला :- आंटी प्लीज आप रश्मि को कुछ मत कहियेगा...। मैं सच में रश्मि को बहुत खुश रखुंगा... आप प्लीज....
रश्मि की मम्मी ने हाथ का इशारा करके रोहित को चुप होने को कहा ओर बोली:- रश्मि क्या सच में तुम इसे पंसद करतीं हो...? क्या तुम अपने सपने.... अपनी जिम्मेदारी सब भूल चुकीं हो..? क्या हैं ये सब...!!
आंटी वो अपना हर सपना... हर जिम्मेदारी पूरी करेगी ये मेरा वादा हैं आपसे... आप बस उसे कुछ मत कहिये...।
मैं तुमसे कुछ पुछ रहीं हूँ रश्मि....? ये सब सच है...?
रश्मि अभी भी कुछ बोल नही पाई...।
आंटी प्लीज मेरी बात तो सुनिए....!
क्यूँ......क्यूँ...सुनू मैं तेरी बात..... कबसे आंटी आंटी कहें जा रहा हैं..... अरे अगर रश्मि तेरी हुई तो हम क्या तेरे पराए हुए....!!
रोहित आश्चर्य से :- जी.... क्या मतलब.... मैं समझा नही...!
रश्मि भी घबराई हुई सोचने लगीं....।
रश्मि की मम्मी मुस्कुराते हुए- मेरी तरफ़ से मंजूरी हैं बेटा..... तो फिर अब मैं तुम्हारी आंटी नहीं मां हुई...!
ये सुनकर रोहित, रश्मि और अलका तीनो ने उन को गले से लगा लिया....।
थैंक्यु मम्मी जी.... थैक्यु सो मच.... आपने मुझे मेरी जिंदगी दे दी... बस अब रश्मि को आपके पास अपनी अमानत बनाकर छोड़ कर जा रहा हूँ.... इसका ख्याल रखना....।
रोहित ने अलका को भी गले से लगाया और उसके कान में कहा--- जैसे ही राहुल को होश आ जाए अपने प्यार का इजहार कर देना....। क्या पता उसे भी अहसास हो जाए.... रश्मि की तरह....।
अलका ने मुस्कुराते हुए कहा :- हां रोहित....लेकिन इस वक्त मैं तुम दोनों को साथ देखकर सच में बहुत खुश हूँ....।
फिर वो रश्मि के पास गया और उसके माथे को चुमते हुए बोला:- मेरा इंतजार करना.... अबकी बार डोली लेकर आऊंगा और साथ लेकर जाऊंगा...।
रश्मि ने भी उसे गले से लगाया और कहा-- मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ रोहित.... तुम्हारी ही रहूँगी.... जल्दी आना.... मैं इंतजार कर रहीं हूँ ....ये याद रखना....।
रोहित सबको बाय कहता हुआ वहाँ से चला गया...।
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